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यह आयकर अधिनियम की धारा 12ए के तहत आयकर विभाग के साथ पंजीकृत है और भारत में आम जनता से दान प्राप्त करने के लिए इसे आयकर अधिनियम की 80जी की मंजूरी मिली है |
‘ब्रज माधुरी सेवा संस्थान’ की स्थापना सन 1988 में हुई और 2024 में ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया जो उप रजिस्ट्रार मथुरा के साथ पंजीकृत है। यह आयकर अधिनियम की धारा 12ए के तहत आयकर विभाग के साथ पंजीकृत है और भारत में आम जनता से दान प्राप्त करने के लिए इसे आयकर अधिनियम की 80जी की मंजूरी मिली है | स्थापना का उद्देश्य ब्रज की पारम्परिक रासलीला, रामलीला तथा भक्त चरित्रों के माध्यम से सनातन संस्कृति से आम जनमानस को जोड़ना रहा है | सांस्कृतिक कार्यक्रमों में श्री हरीश ठाकुर जी के द्वारा श्री मद भागवत कथा एवं भक्तमाल कथाओं के आयोजन किये जाते है तथा शिवपुराण ,देवी भागवत एवं रामकथा के माध्यम से श्री भगवत किशोर व्यासजी देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर सेवा प्रदान करते हैं | महापुरुषों की वाणी एवं साहित्य को जनमानस तक पंहुचाकर संस्कारो की रक्षा तथा सनातन धर्म का प्रचार करते हुए “सेवा ही धर्म” सूत्र को आगे रखकर वृन्दावन पधारने वाले श्रद्धालुओं तथा साधू संतो की समय समय पर यथा योग्य सेवा संस्थान के द्वारा की जाती है | सर्दियों में चाय एवं गर्मियों में मीठे जल की सेवा तथा विशेष अवसरों पर भोजन एवं भंडारो की सेवा भी वृन्दावन परिक्रमा में की जाती है | भक्तों के सहयोग से आवश्यक्तानुसार गोशालाओं में चारे आदि की व्यवस्था तथा गरीब कन्याओं के विवाह में भी यथायोग्य सहयोग प्रदान किया जाता है | गौ सेवा, संत सेवा, गरीब कन्यायों के विवाह एवं अतिथि अभ्यागत सेवा के माध्यम से अक्षय पुण्य के भागी बनना चाहते हैं , वे अपनी श्रद्धानुसार संस्था को सहयोग कर सकते हैं |
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स्वामी राघवाचार्य जी महाराज
भागवत आचार्य
भगवत किशोर व्यास जी एवं हरीश ठाकुर जी ब्रज माधुरी रासलीला संस्थान के माध्यम से ब्रज की प्रसिद्ध रासलीला, रामलीला, भक्ति चरित्र व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सनातन संस्कृति से आम जनमानस को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। इस पुनीत कार्य में हमारी मंगल कामनाएं इनके साथ हैं ।
आचार्य राधेश्याम ऋषि जी
भागवत आचार्य
ब्रज माधुरी रासलीला संस्थान वृंदावन की पारम्परिक और मर्यादित लीला के लिये देश विदेशों में उच्च स्तर पर जाना जाता है लीला में शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य देखकर हृदय आह्लादित हो जाता है और दिव्य अनुभव प्राप्त होता है, बड़े बड़े महापुरुषों ने लीला के माध्यम से भगवत प्राप्ति की है, और आज ये ब्रज माधुरी रासलीला संस्थान इस परम्परा को बचाने में अपना योगदान दे रहा है. हमारे गुरु जी परम पूज्य रमणरेती वाले महाराज जी लीला के अत्यंत ही प्रेमी हैं और अनेकों बार राधा कृष्ण की लीलाओं की अनुभूति कर चुके हैं.
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